हम सभी को एक बात जोड़ती है वो हैं की हम सभी विद्यार्थी हैं हम सभी अपने जीवन की बहुत सी चीजो को स्कूल में ही सिखते हैं मेरे दिमाग में हमेसा एक ही चेज चलती रहती हैं कि पढ़ाई लिखाई क्यों जरूरी हैं और हम सभी को कुछ भी सीखने के लिए स्कूल ही क्यों भेजा जाता हैं क्या जरूरत हैं हमको स्कूल की, क्या बिना स्कूल जाये बिना या बिना पढाई के कोई कुछ नही कर सकता मेरा दिमाग सबसे जादा तब ख़राब होता हैं “जब कॉलेज में टीचर्स छोटी सी बात पर ये ताना मार देती हैं की अगर तू पढ़ाई में पास नही हो सकता तो तू कुछ नही कर सकता ”
क्या पढाई और सफलता का कोई रिश्ता हैं क्या। बचपन में हमको ऐसे विषय पढाये जाते हैं जिनकी जरूरत हमको आज तक पढ़ी नही मुझको लगता हैकी हम सभी को स्कूल इसलिए भेजा जाता हैं ताकि हम एक अच्छे कर्मचारी/ नौकर बन सके माता पिता और टीचर हमको पूरे जीवन एक ही चीज़ का सुझाव देते हैं की हम सभी पढ़ लिख कर एक अच्छी नौकरी करे और अगर हम इन सभी लोगो की बात माने तो ऐसे होने के बहुत अवसर हैं की हम भी अपने माँ बाप की तरह अपने बच्चों को भी यही चीज कहेंगे की पढ़ लिख कर अच्छी एक अच्छी नौकरी करो इससे तुम अपनी लाइफ चैन से जी पाओगे मेरे ख्याल से यह सबसे बड़ा झूठ है अगर ऐसे होता तो एक अच्छा पढ़ा लिखा टीचर और इंजीनियर क्यों अपने बच्चों को ऐशो-आराम का जीवन नहीं दे पा रहा है
मेरे ख्याल से पढ़ाई लिखाई की जरूरत बस परीक्षा में पास होने के लिए रह गई है अगर पढ़ाई लिखाई से अच्छी लाइफ मिलती है तो क्यों लोग अपनी डिग्री को रद्दी समझते हैं क्यों डिग्री को बेचकर लोग लोन लेते हैं क्यों आज देश का ज्यादातर पढ़ा लिखा वर्ग बेरोजगार हैं जो लोग अपने कॉलेज के टॉपर थे वह क्यों खुश नहीं है वह लोग क्यों आज भी एक बेहतर नौकरी की तलाश कर रहे हैं। दुनिया में “क्यों”और “कैसे” यह सबसे ताकतवर शब्द होते हैं हमारा समाज हमको प्रसन्न पूछने से रोकता है बड़े होकर हम समाज में कोई भी प्रश्न नहीं पूछते हैं क्योंकि हमारे अंदर डर होता है कि अगर हम कोई प्रश्न पूछेंगे तो हमारा समाज हंसेगा वो शायद इसलिए हंसते हैं क्योंकि शायद उन्होंने अपने आप से कभी कोई प्रसन्न करा ही नहीं। टीचर और प्रोफेसर बस पढ़ाई और जॉब की बात ही बता सकते हैं और कुछ नहीं उनको खुद नहीं पता की सफलता क्या होती है वह खुद इस खोखले समाज की कठपुतली बन चुके हैं तभी कोई टीचर नहीं कहता कि पढ़ाई बस जरूरत के हिसाब से करो और नौकरी कि चाहा करने से अच्छा खुद ऐसे बनाओ कि 100 लोग तुम्हारे लिए काम करें बहुत से करोड़पति लोगों का यही मानना है की असली शिक्षा कॉलेज के बाद ही मिलती है जब आप कमाते हैं वह समाज में अपनी जगह बनाते हैं हमें से कोई भी 8 घंटे की जॉब करके अपनी लाइफ नहीं सुधर सकता ना ही पढ़ने लिखने से इन सभी से तो आप बस अपनी जिंदगी काट सकते हो और कुछ नहीं
अगर आप अपने माता-पिता से कहेंगे कि मुझको पेंटिंग या गिटार सीखना है। तो वह सभी आपसे इन चीजों के सीखने के कम से कम 10 फायदे पूछना चाहेंगे कि गिटार क्यों सीख रहे हो , इस से क्या मिलेगा ,क्या यह जरूरी है फालतू चीज में पैसा खर्च करने की। इस तरह के बहुत से सवाल पूछेंगे पर अगर आप अपने माता पिता से बोलेंगे कि मुझको इंजीनियरिंग करनी है तो वह आपसे कभी कोई सवाल पूछेंगे कि तू पढ़ाई में इतना होशियार नहीं है की इंजीनियरिंग कर पाए । क्या पढ़ाई लिखाई ही एक माध्यम है अच्छी लाइफ जीने का। मुझको तो ऐसा बिल्कुल नहीं लगता मैं तो यह मानता हूं यह समाज किसी पढ़े लिखे इंसान ने नही बनाया
यह समाज उसी ने बनाया है जिसने इस समाज से प्रश्न पूछे कुछ अलग करना चाहा उन्हीं लोगों ने कुछ करके दिखाया है।
मैं आपकी बातों से सहमत हूँ। गाँधी जी ने इस वजह से हीं बुनियादी शिक्षा / basic education पर जोर दिया था।
LikeLiked by 1 person
Problem basic education ni h sabhi log job krna chate h or koi bi kisi ko kuch nya krne ni deta Q ki logo ne apni soch ki bamd rkha h parents bi baccho ko aaj kl guide ni kr pate vo pdne ko bolte h blki aaj pdhai se bi bdkr ki cheje h
LikeLiked by 1 person
han appui baat sahi hai.
LikeLiked by 1 person
Kya aap khud manti h ki hamre parents ko bi aaj ki duneya ke bare me hmse Bhote km pta h unko khud ni pta h
LikeLiked by 1 person
ji han, jankari ki kami , apne arman baccho ke marfat pura karen ki koshish aur gen gap jaisi samasyayen bhi hai.
LikeLike
Well done..thought provoking post
LikeLiked by 1 person
Thanks sir😇
LikeLiked by 1 person
👍👍
LikeLike
Nice
LikeLike
बहुत अच्छी सटीक बात लिखी पढ़ाई के विषय मे । वाकई मे आज सभी जगह यही स्थिति है । इंसान सबसे पहले पहचान डिग्री से करता है । ज्यादा डिग्री तो ज्यादा होशियार ….बहुत खूब
LikeLiked by 1 person
Thanks log digress ko knowledge smjte h or economical education pr dhyan he ni dete
LikeLike